एक परिंदे का दर्दभरा फ़साना था,
टूटे हुए पंख और उड़ते हूए जाना था।
तूफान तो वो झेल गया पर हुआ एक अफ़सोस,
वही डाल टूटी जिसपे उसका आशियाना था।
टूटे हुए पंख और उड़ते हूए जाना था।
तूफान तो वो झेल गया पर हुआ एक अफ़सोस,
वही डाल टूटी जिसपे उसका आशियाना था।
Hi Friends, I have started this blog to share all Marathi & Hindi poems which I have came across through internet & from various different websites. But now you don't have to surf different sites, just a single blog & have the poems which is appropriate to your mood & emotions. Apart from it I'll be also posting my own poems to share with you all. So start browsing & ENJOY !!!!!!!!!!!!
6 comments:
sachitra prastuti sundar lagi.
बहुत अच्छा लेख है। ब्लाग जगत मैं स्वागतम्।
स्वागत और शुभकामनाये , अन्य ब्लॉगों को भी पढ़े और अपने सुन्दर विचारों से सराहें भी
एक परिंदे का दर्दभरा फ़साना था,
टूटे pankhon se उड़ते हूए जाना था।
तूफान तो झेल गया पर अफ़सोस,
वही डाल टूटी जिसपे आशियाना था।
शानदार पंक्तियां । बधाई ।
लिखते रहिए । शुभकामनाए
Bahut khub kahi.
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